जब दुख के बादल तुमसे ज्यादा ऐंठे ।
तब माँ के आँचल को सर पर लपेटें ।।
गुलशन जो आज इतरा रहा है खूबसूरती पर ।
पहले अपनी माँ का शुक्रिया अदा कर के लौटे ।।
हसीनों की ज़ुल्फ़ों तले क्या मिला है किसी को ।
खुशी चाहने वाला बेझिझक माँ का दामन ओढ़े ।।
क्या सूफ़ी और क्या पंडित के पैर पकड़ता है ।
गर जन्नत की तलब है तो माँ के पैर धो लें ।।
लगता है कि तकलीफों ने अपना कद बढ़ा लिया है ।
उन्हें कहो कभी मेरे माँ के सिरहाने आकर बैठें ।।
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© Avdhesh
💓
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🙏😀
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Bahut hi khubsurti se likha aapne.
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Thank u sir
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Most welcome
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Incredible. माँ के सभी रूप सामान है।
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Thank u 😀
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most welcome.
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Lovely!!
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Thank u so much
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Very nice
Keep it on
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Thank u
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Yeah sure
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